Tuesday, October 9, 2018

मोदी सरकार के 4 साल में यूपीए-2 से 26% ज्यादा निर्माण हुआ

नई दिल्ली. मोदी सरकार के 4 साल में 31 हजार किलोमीटर नेशनल हाईवे निर्माण का काम हुआ। यह यूपीए-2 के 5 साल के दौरान हुए 24,425 किलोमीटर के निर्माण कार्य से 26% ज्यादा है। हालांकि, दोनों सरकारों के कार्यकाल में ज्यादातर काम मौजूदा हाईवे के विस्तार पर ही हुआ।
मोदी सरकार के दौरान हुए कुल हाईवे विकास कार्यों में से 76% काम मौजूदा राजमार्गों के सुधार और उन्हें 2 लेन में बदलने का हुआ। यूपीए-2 के दौरान यह 60% था।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यूपीए-2 के दौरान कुल 24,425 किलोमीटर निर्माण कार्य हुआ। इसमें से 16,650 किलोमीटर हाईवे विस्तार और 2-लेन पर हुआ।
मोदी सरकार के दौरान इस साल जून तक हुए कुल 31 हजार किमी निर्माण कार्य में विस्तार और 2-लेन का काम 23,570 किलोमीटर है।
राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक अगले साल मार्च तक हाईवे निर्माण कार्य का आंकड़ा 39,000 किमी तक पहुंच जाएगा। साल 2009-2014 के दौरान हुए निर्माण कार्यों से यह 60% ज्यादा होगा।चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से कहा है कि वे चुनावी घोषणा-पत्र जारी होने के तीन दिन के भीतर उसकी तीन  प्रति राज्यों में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को सौंपें।  घोषणा पत्र में कोई ऐसा वादा नहीं करें जिसे पूरा नहीं किया जा सके। इस प्रति का पहले मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) द्वारा परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद इसे  केंद्रीय निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा। यह जानकारी सोमवार को यहां सीईओ वीएल कांताराव ने दी। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट के इस संबंध में दिए आदेश के पालन में जारी की गई है। 

सात दिन में स्टार प्रचारकों की अनुमति के लिए आवेदन दें : सीईओ कांताराव ने बताया कि आयोग ने राजनीतिक दलों को अन्य प्रावधान भी किए हैं, जिसमें उन्हें अधिसूचना जारी होने के सात दिन के भीतर स्टार प्रचारकों की अनुमति के लिए आवेदन देना होगा। इसमें  मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों एवं राज्य दलों के लिए स्टार प्रचारकों की संख्या 40 निर्धारित है। अन्य दलों के लिए यह  संख्या 20 निर्धारित की गई है।

452 नए चैक पोस्ट बनाए : विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के खर्चे पर निगरानी के लिए प्रदेश में 848 एफएसटी और 840 एसएसटी का गठन किया गया है। इसके साथ ही अंतरराज्यीय सीमा पर 452 चैक पोस्ट बनाए गए हैं। एफएसटी फ्लाइंग स्कॉट है, जो कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में कार्य करेगा और अवैध गतिविधियों की सूचना मिलने अथवा संज्ञान में आने पर कार्रवाई करेगा। वीडियो सर्विलेंस टीम (वीएसटी) निर्धारित क्षेत्रों में होने वाली सभा और रैलियों की रिकाॅर्डिंग करेगी।

इधर, सुप्रीम कोर्ट में फर्जी वोटर लिस्ट मामले में आयोग और कांग्रेस आमने-सामने : मध्यप्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद दोनों राज्यों में वोटर लिस्ट को लेकर चुनाव आयोग और कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट में आमने-सामने आ गए हैं। मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ अौर राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट की याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कांग्रेस के वकील कपिल सिब्बल और चुनाव आयोग के वकील विकास सिंह के बीच तीखी नोकझोंक हुई।

कांग्रेस नेताओं ने वीवीपैट में मतदाताओं की रैंडम वेरिफिकेशन की मांग की है। वहीं आयोग के वकील ने कहा कि इस याचिका के जरिए आयोग की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग आैर कांग्रेस की दलीलों को सुनने के बाद इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।मशहूर फिलॉस्फर कन्फ्यूशियस ने कहा था कि जीवन बहुत सरल है, लेकिन हम इसे जटिल बनाने की कोशिश करते रहते हैं। उन्हें इस सिद्धांत में फाइनेंस को भी जोड़ना चाहिए था। जब भी आर्थिक जीवन को सरल बनाने की बात आती है लोग अक्सर गलतियां करते हैं। आप मानें या ना मानें, सरल और साधारण प्लान आपके लिए सबसे अच्छा हो सकता है। 

मैंने अक्सर देखा है कि नए निवेशक इक्विटी की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं। गलती उनकी नहीं है। ऐसी खबरें अक्सर सुनने को मिलती हैं कि अमुक स्टॉक ने पिछली तिमाही में 25% रिटर्न दिया या अमुक कंपनी के शेयर पिछले साल 30% बढ़ गए। इक्विटी में पहली बार निवेश करने वालों के लिए यह समझना बहुत मुश्किल होता है कि शुरू कहां से करें। वे इक्विटी और फंड में निवेश के अंतर को भी ठीक से समझ नहीं पाते। 

ऐसे निवेशकों को जो इक्विटी में पैसा लगाना चाहते हैं, मैं कम से कम निवेश का तरीका अपनाने की सलाह देता हूं। मेरी राय पर कई बार लोगों को आश्चर्य भी होता है। लेकिन जाने-माने निवेशक जॉर्ज सोरस ने भी कहा है कि अगर निवेश में आपको मजा आ रहा है तो यह आपके लिए मनोरंजक तो होगा, लेकिन संभवत: आपके लिए पैसे नहीं बनाएगा। निवेश कैसे किया जाए, इस पर लोगों की अलग-अलग राय है। मैं बुनियादी सिद्धांतों का पालन करना पसंद करता हूं।

लालच को पहचानिए: किसी स्टॉक ने शॉर्ट टर्म में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है तो उसके आधार पर आप निवेश का फैसला ना करें। इस सूत्र को याद रखकर आप जोखिम वाले एसेट से बच सकते हैं। अक्सर ऐसे स्टॉक बबल का शिकार होते हैं। यानी जब-तब इनका गुब्बारा फूटने का डर रहता है। गुब्बारा नहीं फूटा तो भी लॉन्ग टर्म में रिटर्न कम मिलता है।

धीरज रखिए: बाजार तत्काल अमीर बनाने का जरिया नहीं है। कोई ऐसा कहता है तो वह न तो निवेश है और ना ट्रेडिंग, वह जुआ है। लंबे समय तक थोड़ा-थोड़ा मुनाफा कमाना कम समय में बड़ा मुनाफा कमाने के जोखिम से बेहतर होता है। 

घबराएं नहीं: हमारी प्रवृत्थि तत्काल संतुष्टि वाली होती है। नुकसान के डर से हम छोटा-मोटा मुनाफा लेकर संतुष्ट हो जाते हैं। इस सोच के साथ आप लंबे समय में संपत्ति नहीं बना सकते। हालांकि यह सोच भी अनुभव और परिपक्वता के साथ आती है। इसलिए जब तक आप विशेष प्रयास करने के लिए तैयार ना हो, तब तक इक्विटी से दूर रहना ही ठीक होगा। दूसरा विकल्प है कि म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश कीजिए। इसमें भी तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए- 

फंड के लक्ष्य को समझें। यह सुनिश्चित करें कि फंड जोखिम लेने की आपकी प्रवृत्ति के मुताबिक है या नहीं।
फंड का एसेट एलोकेशन अलग-अलग माध्यमों में होना चाहिए। इससे स्कीम का जोखिम कम होगा।
फंड मैनेजर के प्रोफाइल और पुराने अनुभव को देखें। यह भी कि उसकी दूसरी स्कीम्स ने कैसा रिटर्न दिया है।

संपत्ति बनाने के लिए जटिल चार्ट बनाना और दिमाग खराब करने वाला कैलकुलेशन जरूरी नहीं है। स्मार्ट इन्वेस्टिंग के बहुत से तरीके आसान और पुराने हैं। आपके निवेश की स्ट्रेटेजी आसान होनी चाहिए, लेकिन इसके साथ अनुशासन और धैर्य भी उतना ही जरूरी है।