Wednesday, November 28, 2018

की जगह अब आईटीईपी कोर्स, फिलहाल बीएड-डीएलएड चलता रहेगा

सरकारी स्कूल में अध्यापक बनना चाहते हैं तो अब आपको बीएड या डीएलएड जैसे कोर्स करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद(एनसीटीई) ने दो नए कोर्स लॉन्च किए हैं। इंटीग्रेटड टीचर एजुकेशन प्रोगाम (आईटीईपी) कोर्स चार साल का होगा। एनसीटीई ने एक नोटिफिकेशन जारी कर सत्र 2019-23 के लिए आईटीईपी कोर्स संचालित करने के इच्छुक शिक्षण संस्थानों से ऑनलाइन आवेदन मंगाए हैं। संस्थान 3 दिसंबर से लेकर 31 दिसंबर तक आवेदन कर सकते हैं।
अभी तक प्री प्राइमरी से प्राइमरी स्तर तक की कक्षाओं में पढ़ाने के लिए डीएलएड जरूरी था। वहीं, अपर प्राइमरी से सेकेंडरी स्तर तक केो स्कूलों में अध्यापन कार्य के लिए बीएड करना अनिवार्य था। लेकिन अब एनसीटीई चार वर्षीय इंटिग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम(आईटीईपी) शुरू करने जा रहा है। इसका मतलब यह है कि प्राइमरी या फिर अपर प्राइमरी और इंटरमीडिएट में पढ़ाने के लिए अभ्यर्थियों को अब बीटीसी, डीएसएड या फिर बीएड का कोर्स नहीं करना पड़ेगा।
अगर कैंडिडेट ने चार साल का इंटीग्रेटेड टीचर एजूकेशन प्रोग्राम पूरा कर लिया है तो उसके लिए टीईटी, एसटीईटी या स्टेट लेवल के अन्य टेस्ट क्लियर करके टीचर बनने का रास्ता साफ हो जाएगा।
एक आईटीईपी प्री प्राइमरी से प्राइमरी स्तर तक पढ़ाने के लिए होगा, जबकि दूसरा आईटीईपी कोर्स अपर प्राइमरी से सेकेंडरी स्तर तक पढ़ाने के लिए होगा। दोनों ही पाठ्यक्रमों की अवधि चार वर्ष की होगी और इनमें 12वीं के बाद दाखिला मिलेगा। इन पाठ्यक्रमों के लिए ग्रेजुएशन की जरूरत नहीं होगी। 
राज्य सरकार करेगी फैसला कि दाखिला एंट्रेंस टेस्ट से होगा या मेरिट के आधार पर
कोई भी कॉलेज, जिसमें बीएड के साथ एमएड या बीए, बीएससी, बीकॉम जैसे पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हों (कंपोजिट कॉलेज), वे आईटीईपी कोर्स संचालित करने की मान्यता ले सकते हैं। अभी तक डीएलएड की संबद्धता राज्य सरकार के शिक्षा विभाग और बीएड की संबद्धता संबंधित विश्वविद्यालय से मिलती थी लेकिन इन दोनों पाठ्यक्रमों की संबद्धता सीधे विश्वविद्यालय से मिलेगी और मान्यता एनसीटीई की रहेगी। कोर्स में एडमिशन एंट्रेंस टेस्ट या फिर मेरिट के आधार पर होगा, इस बात का फैसला संबंधित राज्य सरकारें करेंगी। .
प्रत्येक कॉलेज में मिलेंगी 50 सीटें
एनसीटीई की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक आईटीईपी के लिए एक यूनिट 50 सीटों की होगी। बीएड-एमएड वाले संस्थान को इस कोर्स के लिए 500 वर्ग मीटर भूमि और 400 वर्ग मीटर बिल्डिंग तैयार करनी होगी। किसी नए संस्थान को यह कोर्स संचालित करने के लिए बीए, बीएससी, बीकॉम जैसे कोर्स के साथ यह कोर्स मिलेगा। इसके लिए उन्हें कम से कम 3000 वर्ग मीटर भूमि खरीदनी होगी। यह मानक केवल 50 सीटों के लिए है। एक कॉलेज इससे अधिक सीटें भी ले सकता है, जिसके हिसाब से भूमि और इमारत की सीमा बढ़ जाएगी।
फिलहाल बीएड-डीएलएड चलता रहेगा
एनसीटीई ने जो दो नए पाठ्यक्रम लांच किए हैं, उनकी संबद्धता सत्र 2019-20 से मिलेगी। लिहाजा, फिलहाल दो वर्षीय बीएड और एक वर्षीय डीएलएड कोर्स चलता रहेगा। अभी एनसीटीई ने इन्हें बंद करने की कोई घोषणा नहीं की है

Wednesday, November 7, 2018

दिवाली की सुबह लाई खुशखबरी, कम हुआ जहरीले धुएं का असर

नई दिल्ली: दिल्ली और एनसीआर के रहवासियों के लिए दिवाली की सुबह राहत लेकर आई है. पिछले दिनों की अपेक्षा बुधवार सुबह जहरीले धुएं (धुंध) का असर कम नजर आया. दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर कुछ कम हुआ तो वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' से 'खराब' के स्तर पर पहुंच गई. ताजा जानकारी के मुताबिक दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 278 है. जो कि 'खराब' श्रेणी में आता है.
सबसे कम प्रदूषण गुरुग्राम में हुआ दर्ज
बुधवार सुबह आनंद विहार में वायु गुणवत्ता 315 के स्तर पर थी. जबकि मथुरा रोड पर 308, पूसा रोड पर 290, नोएडा में 275 फरीदाबाद में 266 और गुरुग्राम में 236 दर्ज की गई. लेकिन, यह राहत इतनी भी बेहतर नहीं है क्योंकि आज दिवाली है और जाहिर है कि अगले दिन प्रदूषण का स्तर 'खतरनाक' स्तर पर पहुंच सकता है.
मंगलवार को 'बहुत खराब' थी दिल्ली की हवा
आपको बता दें कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता मंगलवार को 'बहुत खराब' श्रेणी में दर्ज की गई थी. अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए आगाह किया था कि इस दिवाली पर पिछले साल की तुलना में कम प्रदूषणकारी पटाखे फोड़े जाने के बाद भी प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ सकता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 320 के स्तर पर दर्ज किया गया था जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है. बोर्ड ने कहा था कि सोमवार को एक्यूआई 434 के स्तर पर गंभीर श्रेणी में रिकॉर्ड किया गया था जो इस मौसम का अब तक का सर्वाधिक था. केंद्र सरकार की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (सफर) के अनुसार दिवाली के बाद दिल्ली की वायु गुणवत्ता बिगड़कर 'गंभीर और आपात' श्रेणी में जा सकती है.
ट्रकों पर प्रतिबंध की सिफारिश
दिल्ली की वायु गुणवत्ता के मद्देनजर प्रदूषण की निगरानी करने वाली संस्था सीपीसीबी ने 8 से 10 नवंबर तक शहर में ट्रकों के प्रवेश पर पाबंदी लगाने की सिफारिश की है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने लोगों से बुधवार को पटाखा मुक्त दिवाली मनाने की अपील करते हुए प्रदूषण कम करने में सहयोग की अपील भी की है.
सांस लेने के अधिकार के लिए हुआ प्रदर्शन
आपको बता दें कि मंगलवार को पर्यावरण मंत्रालय के बाहर लोगों ने प्रदूषण के खतरनाक स्तर के विरोध में प्रदर्शन भी किया. प्रदर्शनकारियों ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को एक पत्र सौंप "सांस लेने के अधिकार" की मांग की. इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजधानी में स्वच्छ हवा कार्यक्रम के जल्द क्रियान्वयन की मांग की है. जिसके बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने कहा कि वह दिल्ली में खतरनाक प्रदूषण से निपटने के लिए दिवाली के बाद कृत्रिम वर्षा कराने पर विचार कर रहा है. अधिकारी ने कहा कि वे मौसमी स्थितियों के स्थिर होने का इंतजार कर रहे हैं और उसके बाद कृत्रिम वर्षा के लिए 'क्लाउड सीडिंग' की जाएगी.
दिवाली के बाद 'कृत्रिम वर्षा' की भी है तैयारी
सीपीसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वे दिवाली के बाद कृत्रिम वर्षा कराने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर और भारतीय मौसम विभाग से बातचीत कर रहे हैं. दिवाली के बाद प्रदूषण के "गंभीर से अधिक आपातकालीन" श्रेणी में पहुंचने की आशंका है. आपको बता दें कि क्लाउड सीडिंग एक प्रक्रिया होती है जिसके तहत सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस और नमक सहित विभिन्न रसायनिक तत्वों का इस्तेमाल करके वर्तमान बादलों को घना बनाया जाता है जिससे वर्षा या बर्फबारी की संभावना बढ़ती है.